ज़ाहिर सूचना: आज की पोस्ट जो उम्र में मार्क जुकरबर्ग को झूठी जानकारी देकर चकमा दे गये हों उनके लिये नहीं है। जो उम्र से न सही विचारों से वयस्क हों वही आगे पढें।

धर्मवीर भारती जी की गुनाहों का देवता में मुख्य क़िरदार चन्दर और सुधा की बुआ की लड़की बिनती के बीच सुधा की शादी के बाद बातचीत हो रही है प्यार और शारिरिक संबंध को लेकर। चन्दर को बहुत आश्चर्य होता है जब बिनती उन्हें बताती है कि गाँव में ये सब उतना ही स्वाभाविक माना जाता है जितना खाना-पीना हँसना-बोलना। बस लड़कियाँ इस बात का ध्यान रखती हैं कि वो किसी मुसीबत में न पड़ें।

दरअसल इस विषय पर मेरी पुरानी टीम की साथी मेघना वर्मा ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी है उनके साथ पीजी में रहने वाली मोहतरमा के बारे में। मेघना उनके व्यवहार/विचार से बिल्कुल अलग राय रखती हैं। पहले जानते हैं मेघना ने क्या कहा। ये उस पोस्ट का सार है।

उनकी रूममेट का नौ वर्षों से किसी के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा है लेकिन उन्होंने शादी के लिये किसी दूसरे ही व्यकि को चुना है। इसमें जो समस्या है जिसे मेघना ने परेशान कर रखा है वो ये की इन देवीजी को अपनी ज़िंदगी में दोनों पुरुष चाहिये। मतलब शादी के बाद भी वो अपना प्रेम प्रसंग चालू रखना चाहती हैं।

इस पोस्ट पर कई लोगों ने टिप्पणी करी। कुछ ने ऐसे व्यवहार के लिये इंटरनेट और टेक्नोलॉजी को दोषी ठहराया। ज़्यादातर लोगों का यही मत था कि उन मोहतरमा को ऐसा नहीं करना चाहिये। कम से कम उस लड़के को जिसे उनके माता पिता ने चुना है उसे सब सच बता देना चाहिये। लगभग सबका यही मानना था कि इस पूरे प्रक्रण्ड का अंत दुखद ही होगा।

मेघना की पूरी पोस्ट आप यहाँ पढ़ सकते हैं।

एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर कोई नई बात नहीं है और निश्चित रूप से जो रास्ता इन मोहतरमा और उनके आशिक़ ने अपनाया है उस राह पर कई और भी चलें होंगें। मैं स्वयं ऐसे कई शादी शुदा लोगों को जनता हूँ जो इसमें लिप्त हैं और उनको इससे कोई ग्लानि नहीं है। ऐसा नहीं है कि जिन लडकियों से उनके अफेयर चल रहे हैं उन्हें उनके शादीशुदा होने के बारे में नहीं मालूम। लेकिन फ़िर भी दोनों ही इस राह पर चलते हैं।

इरफान खान ने 2013 में एक इंटरव्यू में कहा था

I would respect a marriage where the man and woman have the freedom to sleep with anyone. There is no bondage.

बक़ौल इरफ़ान खान: मैं उस शादी की ज़्यादा इज़्ज़त करूंगा जहां पति और पत्नी को किसी के भी साथ सोने की आज़ादी हो। किसी तरह का कोई बंधन न हो।

इस इंटरव्यू को आप यहाँ पढ़ सकते हैं।

क्या वो मोहतरमा गलत हैं? शायद। लेकिन हमें ये लाइसेंस किसने दिया कि हम लोगों को मॉरल लेक्चर दें। लेकिन क्या हम उन्हें इसलिये ग़लत कहें कि वो जो भी करना चाहती हैं वो डंके की चोट पर करना चाहती हैं? क्या वो और उनके प्रेमी यही काम छुप छुप कर करते तो हमें कोई फ़र्क नहीं पड़ता?

ये सब बातें हम आज 2019 में कर रहे हैं। 1949 में पहली बार प्रकाशित चन्दर और बिनती की ये बातें इस बात की गवाह हैं कि इन 70 सालों में बदला कुछ नहीं है।